जागीरदार और जमीदारी प्रथा IN HINDI
जागीरदार 1. जागीरदार वे मनसबदार होते थे, जिन्हें नकद के बदले 'जमादामी' (आनुमानित आय) के आधार पर कुछ राजस्व दिये जाते थे। जिन्हें'जागीर कहा जाता था। 2.'जमादामी' राजस्व से प्राप्त आनुमानित आय को कहा जाता था जिसमें भू राजस्व के अलावा 'हासिल' एवं 'पेशकश' जैसे अन्य कराधानों से भी प्राप्त होने वाली आय सम्मिलित होती थी। 3.'इनाम' उन जमीनों को कहा जाता था जिनके साथ किसी प्रकार का कोई प्रशासनिक दायित्व नहीं जुड़ा होता था इसी में 'मदद-ए-माश' कहलाने वाली जमीने भी सम्मिलित होती थी, जो धर्मपरायण व्यक्ति, विद्वान तथा सम्मानित व्यक्तियों एवं अनाथों को दी जाती थी । 4.'मदद-ए-माश' भूमि प्राप्त व्यक्ति को उस पर आजीवन भू-राजस्व संग्रह का अधिकार होता था। 5.जागीरदारी प्रथा की नींव अकबर के शासन काल में पड़ी। 6. मुगल काल में कुछ जागीरे वंशानुगत आधार पर प्राप्त होती थी। जैसे—'वतन जागीर' एवं 'अलतमगा' जागीर । 7.'वतन जागीर' (पैतृक जागीर) वह जागीर होती थी, जो आनुवांशिक राजाओं और जमीदारों को उन्हीं के प्रदेशों में दी जाती थी। 8....