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रैयतवारी व्यवस्था IN HINDI

रैयतवारी व्यवस्था  अंग्रेजों द्वारा भारत में भू-राजस्व वसूली  की यह दूसरी व्यवस्था थी जिसका जन्मदाता थामस मुनरो और कैप्टन रीड को माना जाता है। 1820 ई० में कैप्टनरीड के प्रयासों से रैय्यतवाडी व्यवस्था को सर्वप्रथम तमिलनाडु के 'बारामहल' जिले में लागू किया गया। तमिलनाडु के अलावा यह व्यवस्था मद्रास, बम्बई के कुछ हिस्से, पूर्वी बंगाल, आसाम, कुर्ग के कुछ हिस्से में लागू की गई। इस व्यवस्था के अन्तर्गत कुल ब्रिटिश भारत के भू-क्षेत्र का 51 प्रतिशत हिस्सा शामिल था।  1- रैय्यतवाड़ी व्यवस्था के अन्तर्गत रैय्यतों को भूमि का मालिकांना और कब्जादारी अधिकार दिया गया था जिसके द्वारा ये प्रत्यक्ष रूप से सीधे या व्यक्तिगत रूप से सरकार को भू-राजस्व का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी थे। 2.रैय्यतवाड़ी व्यवस्था में कृषक ही भू-स्वामी होता था जिसे भूमि की कुल उपज का 55 प्रतिशत से 33 प्रतिशत के बीच लगान कंपनी को अदा करना होता था। 3.इस व्यवस्था के अन्तर्गत लगान की वसूली कठोरता से की जाती थी तथा लगान की दर भी काफी ऊंची थी, जिसका परिणाम यह हुआ कि कृषक महाजनों के चंगुल में फंसता गया जो कालांतर में महाज...