सूफी मत की उत्पत्ति और उसके भारतीय समाज पर प्रभाव in HINDI

       
सूफीमत की उत्पत्ति और उसके भारतीय समाज पर प्रभाव 

सूफी" शब्द की उत्पत्ति अरबी शब्द "सफा" से हुई है। जिसके दो अर्थ है एक ऐसे व्यक्ति जो ऊनी वस्त्र पहनते हैं, दूसरे ऐसे जो शुद्धता और  पवित्रता पर बल देते हैं ।
  सूफी  शब्द की उत्पत्ति के विषय में, इतिहासकारों में मतभेद है। कुछ विद्वानों के अनुसार सूफी शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के 'सूफ' शब्द से हुई है, जिसका अर्थ ऊन था । जो बकरी या भेड़ के बाल का ऊनी कपड़ा होता है। अतः जो लोग ऊनी वस्त्र पहनते थे, वे सूफी कहलाये । दूसरे विद्वानों का मत है, कि सूची शब्द की उत्पत्ति 'सफा' शब्द से हुई है। सफा  शब्द का अर्थ है, कि 'पवित्रता' या 'विशुद्धता' अर्थात जो लोग आचार- विचार से पवित्र  थे, वे सूफी  कहलाये। इसके अतिरिक्त इतिहासकारों का एक मत यह भी है कि  पैगम्बर मुहम्मद साहब साहब के सहयोगियों (सहावा) में से कुछ लोग, जो सांसारिक जीवन छोड़कर मदीना में मुहम्मद साहब द्वारा बनवाई मस्जिद के बाहर 'सफा' अर्थात मक्का की पहाड़ी पर खुदा की आराधना में लीन रहते थे , वे सुफी कहलाये । युसुफ हुसेन के अनुसार, "सूफी  अनुयायी बाहरी  वैभव व सम्पत्ति को वास्तविक इस्लामी जीवन के मार्ग में निरोधक समझकर इस संसार से संन्यास लेकर 'शरीयत' अथवा इस्लामी सिद्धान्तों के अनुसार संयमित जीवन व्यतीत करते थे ।"
सूफी शब्द मुहम्मद साहब की मृत्यु  के लगभग 200 वर्ष  पश्चात् प्रकाश में  आया । आठवीं शताब्दी में सूफी  शब्द का प्रचलन  आम हो  गया । 
'सफ' शब्द का अर्थ 'ऊन' है । माना  जाता है कि जो विचारक सफ् अर्थात् ऊन से बने कपड़े पहनते थे, उन्हें सूफी कहा गया। सूफी मत का मूल स्त्रोत 'कूरान' है ।  इसका आधार पैगम्बर मोहम्मद साहब की  जीवनी है। यद्यपि मूल स्त्रोत  कुरान था ।फिर भी  इस पर ईसाई और जैन वैदान्त और  हिन्दू धर्म का पूरा प्रभाव दिखाई है। सूफी तसव्वुफ अर्थात् सभी धर्मों से प्रेम वाला माना गया है और इसी पर आधारित सफा का अर्थ पवित्रता  होता है ।

भारतीय समाज पर सूफी धर्म के प्रभाव 

भारतीय समाज पर सूफी धर्म के अनेक प्रभाव पड़े। जो इस प्रकार है - 
 1• इस धर्म के लोगों ने धार्मिक  सहनशीलता के  भाव उत्पन्न किए। इसके सम्पर्क  में सिकन्दर लोदी, बाबर तथा शेरशाह  सूरी जैसे शासक  आए । उन्होंने इस्लाम धर्म में विश्वास रखते हुए भी इस धर्म के शेखों के प्रति आदर भाव रखे। सम्राट अकबर ने तो शेख सलीम चिश्ती की दरगाह पर पैदल यात्रा तक की थी ।

2• इस धर्म से प्रभावित होकर अनेक हिन्दुओं विशेषकर निम्न जाति के लोगोंने इस्लाम धर्म  स्वीकार कर लिया। अब से पहले लोगों को जबरदस्ती मुसलमान बनाया जाता  था। परन्तु अब लोग  स्वेच्छा से  धर्म परिवर्तन करने लग गए ।

3. इस धर्म के परिणामस्वरूप हिन्दू-मुसलमानों में भाई- चारे की भावना उत्पन्न हुई। लोगों में सामाजिक  मेल-जोल बढ़ा ।

4• सूफी कवियों के लोगों में  समाज सेवा की  भावना जागृत की ।

5• सूफी कवियों तथा शेखों ने उर्दू भाषा में  अनेक कविताओं तथा कव्वालियों की रचना की । जिससे उर्दू साहित्य का बहुत विकास हुआ 

6. सूफी धर्म के अनुयायी गीत तथा  संगीत में  विश्वास रखते थे । अतः इस काल में  संगीत कला  बहुत विकास हुआ । 

7. सूफी धर्म के परिणामस्वरूप मक्का का महत्व  कम हो गया। अब लोग पीर तथा मजार की यात्रा करने लगे ।वे सूफी संतों के  मकबरों को ही मक्का मानने लगे ।

 8. सूफी लोगों ने कला के विकास में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। अजमेर की शेख मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह, फतेहपुर सीकरी में  शेख सलीम चिश्ती का मकबरा ,दिल्ली में निजामुद्दीन औलिया का मकबरा, भारतीय भवन निर्माण,  निर्माण, कला शैली की दृष्टि से उत्तम है ।


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