साइमन कमीशन in HINDI
साइमन कमीशन (1927 ई.)
1• 1919 के भारत शासन अधिनियम में कहा गया था कि अधिनियम के पारित होने के 10 वर्ष बाद एक वैधानिक आयोग का गठन किया जाएगा, जो यह निर्धारित करेगा कि यह अधिनियम व्यवहारतः कहाँ तक
2• ब्रिटेन की सरकार ने दो वर्ष पहले ही इण्डियन स्टेट्यूटरी कमीशन या साइमन कमीशन की नियुक्ति की। साइमन कमीशन के सदस्य थे सर जॉन साइमन, बानौन हार्टसोन, स्ट्रेंथ कोना, क्लीमेण्ट एटली, कर्नल बर्नहम, जार्ज लेनफोक्स, एडवर्ड केडोगना विरोध के दो प्रमुख कारण थे। एक कारण था कमीशन की नियुक्ति का दो वर्ष पूर्व ही हो जाना दूसरा कारण था भारतीयों को शामिल नहीं करना।
3• 1927 में मद्रास में हुए कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन, जिसकी अध्यक्षता एम ए अंसारी ने की थी, में साइमन कमीशन के बहिष्कार का निर्णय किया गया।
4• हिन्दू महासभा ने भी इस बहिष्कार का समर्थन किया, परन्तु मद्रास की जस्टिस पार्टी, पंजाब की यूनियनिस्ट पार्टी, अखिल भारतीय अछूत फेडरेशन एवं मोहम्मद सफी वाले मुस्लिम लीग के एक गुट ने साइमन कमीशन का समर्थन किया।
5• आयोग जब 3 फरवरी 1928 को बम्बई पहुंचा तो इसका भयंकर विरोध हुआ एवं अखिल भारतीय हड़ताल का आयोजन हुआ।
6• साइमन का स्वागत काले झण्डे दिखाकर किया गया एवं साइमन वापस जाओ के नारे से पूरा बम्बई गूंज उठा।
7• इसी आयोग के विरोध करने के क्रम में लाला लाजपत राय की लाठी से पिटाई की गई जिससे उनकी मृत्यु हो गई। मरने से पूर्व लाला जी ने कहा था कि "मेरे ऊपर जो लाठियों का प्रहार किया गया है यही एक दिन ब्रिटिश साम्राज्य की आखिरी कील साबित होगी।"
8• 1928-29 ई. के बीच कमीशन ने भारत में दो बार यात्रा की और मई, 1930 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी, जिस पर लन्दन में आयोजित होने वाले गोलमेज सम्मेलन में विचार होने वाला था।
9• सर शिवस्वामी अय्यर ने इसे रद्दी की टोकरी में फेंकने लायक बताया।
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