अग्रहार की परिभाषा 1. यह एक "संस्कृत" शब्द है। जिसका प्रयोग विशेष रूप से प्रथम सहस्त्राब्दी के मध्य से हुआ था। 2. यह एक ऐसा शब्द था जो ब्राह्मणों को दिए जाने वाले भूमि अनुदान की एक श्रेणी का पदनाम था। 3. सामान्य तौर पर यह भूमि अनुदान स्थायी होता थे। 4. दान प्राप्तकर्ता को उत्पादन संगठित करने और भूमि से राजस्व व् अन्य संसाधन एकत्र करने का अधिकार दिया जाता था।
बौद्ध स्तूप और स्तूपों की संख्या स्तूप का शाब्दिक अर्थ है ' किसी वस्तु का ढेर या थूहा'। स्तूप का प्रारम्भिक उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है। ● स्तूप का विकास सम्भवतः मिट्टी के ऐसे चबूतरे से हुआ जिसका निर्माण मृतक की चिता के ऊपर अथवा मृतक की चुनी हुई अस्थियों को रखने के लिए किया जाता था। स्तूपों को मुख्यतः 4 भागों में बांटा जा सकता है ●महत्मा बुद्ध की मृत्यु के बाद उनकी अस्थि अवशेषों पर 8 स्तूपों का निर्माण हुआ। इन स्तूपों का निर्माण अजातशत्रु तथा इस क्षेत्र के गणराज्यों ने करवाया। ● कालांतर में मौर्य सम्राट अशोक ने 84000 स्तूपों का निर्माण सम्राज्य के विभिन्न हिस्सों में कराया। ■ स्तूपों को मुख्यतः 4 भागों में बांटा जा सकता है 1. शारीरिक स्तूप प्रधान स्तूप होते थे जिसमें बुद्ध के शरीर, धातु केश और दंत आदि को रखा जाता था। 2. पारिभोगिक स्तूप में माहत्मा बुद्ध द्वारा उपयोग की गई वस्तुओं जैसे भिक्षापात्र, चीवर, संघाटी, पादुका आदि को रखा जाता था। 3. उद्देशिका स्तूप ऐसे स्तूप होते थे जिनका सम्बन्ध बुद्ध के जीवन से जुड़ी घटनाओं की स्मृति से जुड़े स्थानों से था। 4. पूजार्थक स्तूप ऐसे स...
मनसबदारी व्यवस्था मनसबदारी व्यवस्था मुगल प्रशासनिक व्यवस्था का एक ऐसा रूप है, जिसमें सैनिक एवं असैनिक दोनों रूप मिले हुए हैं। इस व्यवस्था को अकबर के शासनकाल के 19वें वर्ष में लागू किया गया था, जिसका आगे 39वें वर्ष में और अधिक विकास किया गया। दशमलव प्रणाली पर आधारित यह व्यवस्था सम्भवतः चंगेज खाँ (मंगोल) से ली गई थी। यह अपने पूर्ववर्ती इक्तादारी एवं वजहदारी व्यवस्था का स्वाभाविक विकास था। प्रशासन के लगभग सभी महत्त्वपूर्ण पद मनसबदारों को ही प्रदान किए जाते थे। • मनसब शब्द का अर्थ- स्थान या पद होता है, जो मुगल व्यवस्था में ओहदा या पद को इंगित करता है। यह मुगल-प्रशासन का इस्पाती ढाँचा माना जाता है। दिल्ली सल्तनत के दौरान सल्तनत को विभिन्न इक्तों में बाटा गया और उसके प्रभारी इक्तादार कहलाते थे. इक्तादार सम्बन्धित इक्ते की कुल आय में से9 अपने खर्च को घटाकर बचे हुए (फवाजिल) को केन्द्रीय खजाने में भेज दिया जाता था। मुगल राजवंश के व्यवस्थापक बाबर ने वजहदारी व्यवस्था की शुरुआत की, जिसमें सम्बन्धित वजहदार को वजह (पुरस्कार) प्रदान किया जाता था। • अकबर ने इसी इक्तादारी एवं वजहदारी ...
This is my first blog . Actually i post this just to check . is it working or not.
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