पानीपत का दूसरा युध्द और उसके परिणाम इन हिन्दी


पानीपत का दूसरा युध्द 5 नवम्बर 1556 ई.

भूमिका - बाबर की मृत्यु के पश्चात् उसका पुत्र हुमायूँ 1530 ई. में दिल्ली की गद्दी पर बैठा। उसने 1540 ई. शासन किया। उसने गद्दी पर बैठते ही साम्राज्य का विभाजन अपने भाइयों में कर दिया। परिणामस्वरूप शेर खां ने उसे चौसा (1539 ई.) और बिलग्राम (1540 ई.) के युद्धों में हराकर हिन्दुस्तान से बाहर भगा दिया और मुगल साम्राज्य के स्थान पर द्वितीय अफगान साम्राज्य की स्थापना कर दी। उसने 1540 ई. से 1545 ई. तक शासन किया। उसकी मृत्यु के पश्चात् इस्लाम शाह (1545-1553 ई.) और उसके उत्तराधिकारियों जैसे मुहम्मद आदिलशाह, इब्राहिम शाह सूर, सिकन्दर शाह सूरी तथा मुहम्मद शाह सूरी ने (1553-1555 ई. तक) शासन किया। 1555 ई. में हुमायूं ने पुनः हिन्दुस्तान के अपने खोये हुए प्रदेशों को प्राप्त करने का प्रयास किया। इस समय द्वितीय अफगान साम्राज्य पतन की ओर अग्रसर था अतः हुमायूं ने बैरम खां की सहायता से मछीवाड़ा और सरहिन्द के युद्धों में अफगानों को हराकर पुनः मुगल साम्राज्य की स्थापना कर दी। परन्तु हुमायूँ के भाग्य में हिन्दुस्तान पर अधिक समय तक राज्य करना नहीं लिखा था। 1556 ई. में उसकी मृत्यु हो गई। इस अवसर  का लाभ उठाकर आदिलशाह के योग्य मंत्री हेमू ने दिल्ली और आगरा पर अधिकार कर लिया और विक्रमादित्य की उपाधि धारण कर स्वतंत्र रूप से शासन चलाने लगा। हेमू 'विक्रमादित्य' की उपाधि धारण करने वाला भारत का 14वाँ शासक था । जिसके कारण अकबर और हेमू के बीच पानीपत का दूसरा युद्ध लड़ा गया।


पानीपत के दूसरे युद्ध के परिणाम (Results of the Second Battle of Panipat)

पानीपत का दूसरा युद्ध भारत के इतिहास में अपना एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। इस युद्ध के अनेक परिणाम निकले जिनका वर्णन इस प्रकार है-

1. अफगान साम्राज्य का अंत - हेमू को बंदी बनाकर मौत के घाट उतार दिया गया जिससे अफगान सेना की शक्ति को गहरा धक्का लगा।  

2.  हिन्दू राज्य स्थापित होने की संभावना समाप्त कर दी गई- आदिलशाह एक नाममात्र का सुल्तान था उसकी समस्त शक्तियों का उपयोग स्वयं हेमू करता था। उसने आगरा और दिल्ली पर अधिकार करके हिन्दू राज्य की स्थापना कर दी थी। परंतु पानीपत के दूसरे युद्ध में हेमू को हराकर मौत के घाट उतार दिया गया। इससे दिल्ली में हिन्दू राज्य की स्थापना की संभावनाएं जाती रहीं।

3.हेमू की समस्त संपति पर अधिकार- पानीपत के युद्ध के पश्चात् अकबर ने पीर मुहम्मद के नेतृत्व में मेवात पर आक्रमण कर दिया। उसके आक्रमण की सूचना प्राप्त होते ही हेमू की पत्नी भाग गई परन्तु हेमू का वृद्ध पिता पूर्ण दास शत्रु के हाथों में पड़ गया उसे इस्लाम धर्म स्वीकार करने को कहा गया। इंकार करने पर उसका वध कर दिया गया। हेमू की समस्त संपत्ति पर अधिकार कर लिया गया। पीर मुहम्मद को रेवाड़ी एवं मेवात के क्षेत्रों का गवर्नर बना दिया गया।

4.  मुगल साम्राज्य की पुनः स्थापना - अकबर ने मुगल साम्राज्य को अत्यधिक विशालता एवं सुदृढ़ता प्रदान की। 

5. अफगान शत्रुओं को समाप्ति - अकबर ने युध्द जीतने के बाद अपने सभी अफगान शत्रुओं की हत्या कर दी । उसने सिकंदर सूरी को मानकोट में पराजित किया। इसी समय आदिलशाह बंगान के शासक से लड़ता हुआ मारा गया। इब्राहिम सूर को उड़ीसा में मौत के घाट उतार दिया गया।इस प्रकार अकबर ने सभी अफगान शत्रुओं से छुटकारा प्राप्त कर लिया। 


निष्कर्ष - उपर्युक्त वर्णन के आधार पर कहा जा सकता है कि बैरम खां और अकबर ने हेमू की आशाओं को हमेशा के लिए समाप्त कर दिया। इससे मुगल साम्राज्य की पुनः स्थापना हुई। अबुल फजल ने भी बैरम खां द्वारा दिखाई गई असाधारण वीरता की बहुत प्रशंसा की। उसने लिखा है यदि अकबर अपने पर्दे से बाहर आ जाता था वह एक किसी बुद्धिमान व्यक्ति की सलाह से हेमू को कैद करके रखता और यदि उसे शाही सेवा में सम्मिलित कर लिया जाता तो वह मुगल साम्राज्य की अद्वितीय सेवा करता।


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